कल तक जो लोग सेंगोल को राजतंत्र का प्रतीक बताकर विरोध कर रहे थे आज वही अपने आपको इस राजतंत्र का प्रतीक उसी प्रकार दे रहे हैं जैसे नेहरू ने खुद को भारत रत्न दिया था।
पेरियार ने हिन्दी विरोध और दक्षिण भारत को भारतवर्ष से अलग मानकर ही अपनी रणनीति की थी। राहुल गांधी भी भारत को ‘यूनियन ऑफ़ स्टेट्स’ पहले ही कह चुका है।
