2 jr - Vertalen

उन दिनों बाबा रामदेव बहुत फेमस नहीं थे। और न ही मिडिल क्लास परिवारों में योग करना किसी रूटीन का हिस्सा था। हम बचपन मे स्कूल की पीटी और प्रार्थना के समय किए गए थोड़े बहुत वॉर्मअप को ही योगा समझते थे।
योग से मेरा प्रथम परिचय बाबा रामदेव के माध्यम से हुआ। हमारे नीमच में 15 दिन का योग शिविर लगा था। यह वह समय था जब बाबा रामदेव तेज़ी से प्रसिद्ध हो रहे थें, पर आज जितने नहीं। उनके शिविर लगना उस समय एक सामान्य बात सी थी। हमारे अग्रवाल समाज के एक परिचित अंकल के वो अच्छे मित्र थें, उन्ही के कहने पर यह शिविर लगाया गया था।
जब हमें पता चला तो हमने तो बस फ्रेंड्स के साथ सुबह की वॉक और एंजॉयमेंट के लिये योग शिविर अटेंड कर लिया। उन पन्द्रह दिनों ने पूरे नीमच की दिनचर्या और रोगों को हमेशा के लिए बदल दिया।
हमारे पड़ोस में एक आंटी रहती थीं। डॉ ने उनके खराब घुटनों के ऑपरेशन के लिये कह दिया था। उन दिनों घुटने के ऑपरेशन के लिये एक मजेदार बात प्रचलित थी कि, 1 बिस्कुट लगता है तो ऑपरेशन होता है! वो बिचारि 'बिस्किट' भी खरीद लाई। मतलब की 1 सोने के बिस्किट जितना खर्चा।
जब हम सब फ्रेंड्स ने शिविर में जाना डिसाइड किया तो वो भी हो ली हमारे साथ। 1 2 दिन बहुत कठिन गुज़रे। रात में हाथ पैरों में ऐसा दर्द होता जैसे कि चक्की पिसी हो। सुबह मन को समझाते और धकेलते उठते। किन्तु धीरे धीरे सब नॉर्मल होने लगा। शिविर के अंत तक आते आते बहुत अच्छा लगने लगा। हम सभी ने अपनी छोटी छोटी स्वास्थ्य समस्याओं से छुटकारा भी पाया और इसका महत्व भी जाना।
पर सबसे आश्चर्यजनक हमारी आंटी के बिस्किट का बचना रहा! खैर वो बिस्किट जो उन्होंने बचाया...बक़ौल आंटी वो कभी उनके हाथ आया ही नहीं! बहू के कब्जे में गया🙊
मजाक से इतर...मैने बहुत से लोगों को स्वास्थ्य सम्बंधित परेशानी में देखा और फिर योगा के द्वारा ठीक होते भी।
आज बाबा रामदेव के लिये सब लोग तमाम नकारात्मक बाते कहते हैं। उन्हें लाला कहते है, तो कभी लालची। उन पर चाहे हम तमाम आरोप लगा दें, पर यह भी सच है कि भारत को योग की तरफ फिर से मोड़ने वाले बाबा रामदेव ही हैं।
बीते कुछ महीने स्वास्थ्य को लेकर बहुत परेशान रही। जब दवाइयाँ खाकर थक गई...और कुछ समझ न आया तो योग की शरण ली। दवाइयाँ खैर चल रहीं है, पर योग करने से वो आराम है जो पहले दवाओं से भी नहीं मिला।
आज योग दिवस है। अपनी दिनचर्या में योग को जरूर शामिल करें। क्योंकि जीवन की सबसे बड़ी पूंजी बेहतर स्वास्थ्य है।
हम हैं तो कल है।