प्रतापगढ़ के मनगढ़ जैसे छोटे से गांव में भक्ति धाम मनगढ़ जैसा भव्य मंदिर बनाने का मुख्य उद्देश था कि यह स्थान कृपालु महाराज की जन्मभूमि है यहीं पर उनका जन्म साल 1922 में शरद पूर्णिमा के दिन मध्यरात्रि को हुआ था।

चांदनी रात में लाइट का रिफ्लेक्शन जब झांकियों का पड़ता है तो ऐसा प्रतीत होता है मानो कुदरत की कायनात बस यही समाई है इसे देखने के लिए दूर-दूर से आए हुए पर्यटक संध्या होने का इंतजार करते हैं।

मन मोह लेती है मंदिर की झांकियां

जमीन से 108 फीट ऊंचे शिखर वाले इस मंदिर के निचले तल पर श्री कृष्ण और राधा रानी संग उनके अष्ट सखियों के जीवन का झांकियों के माध्यम से बड़े ही सुंदरता के साथ चित्रित किया गया है।
वही पहले मंजिल को दो चरणों में बांटा गया है जिसमें से पहले चरण में त्रेता अवतार राम सीता और श्री कृष्ण राधा के साथ बलराम के जीवन प्रसंगों को चित्रित किया गया है।
जबकि दूसरे भाग में महाराज कृपालु के जीवन से जुड़े अहम पहलुओं को प्रदर्शित किया गया है।

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