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ये वो हनुमान थे जिसने कलयुग में सनातन धर्म की जड़ो को फिर से सींचने का काम किया।
स्व. श्री हनुमान प्रसाद पौद्दार जी जिन्होंने गीता प्रेस गोरखपुर की स्थापना की ओर कलयुग में भारत के घर घर मे वैदिक धर्म ग्रंथों, शास्त्रौ को पहुचाने का काम किया। आज भारत के घर मे जो सनातन शास्त्र पहुच रहे है वो स्व श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार जी की देन है। वास्तव में हनुमान प्रसाद पोद्दार जी हनुमान ही थे जब हिन्दू समाज अपने ज्ञान , विज्ञान, गौरव को भुल अंग्रेजी सभ्यता का दास बन रहा था, तब इन्होंने हनुमान की भांति संजीवनी रुपी गीता प्रेस गोरखपुर (सनातन शक्तिपुंज) की स्थापना कर जो सनातनियों को जड़ से जोड़े रखने का भगीरथी प्रयास किया । उसके लिए भारत का समाज हमेशा इनका ऋणी रहेगा। इन लोगो ने अभावो में रहकर भी कैसे संस्थान खड़े किए होंगे जो सम्पूर्ण विश्व मे वैदिक ग्रंथ पहुचाने वाले सबसे बडे संस्थान बनकर उभरे।
न पैसा न संसाधन फिर भी समाज की आने वाली पीढ़ियों तक शास्त्रो का अमर ज्ञान पहुचाने के लिए अपना सबकुछ वार दिया।
हनुमान प्रसाद पोद्दार जी जैसे महापुरुषों के द्वारा ही वह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को ज्ञान पहुंचाने वाली ऋषि परम्परा जीवित है।
जो समाज अपने इतिहास और महापुरुषों को भुल जाते है वो समाज कुछ समय में ही नष्ट हो जाता है , इसलिए हनुमान प्रसाद पोद्दार जी जैसे महात्माओं को कभी मत भूलो ये ही भारत के संस्कृति के इस अक्षय वृक्ष की जड़ है।
कोटि कोटि नमन 🙏🙏

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