प्रज्वलित अग्नि के समान भयानक प्रतीत होने वाले भगवान् परशुराम को देखकर वहाँ उपस्थित सभी ऋषि-महर्षि विचार में पड़ गए कि उनके आगमन का कारण क्या है? कहीं वे अपने पिता के वध से क्रोधित होकर इन सब क्षत्रियों का संहार तो नहीं कर डालेंगे? इन्होने तो पूर्व-काल में ही क्षत्रियों का वध करके अपना क्रोध उतार लिया है। अतः क्षत्रियों का संहार करना इनके लिए अभीष्ट नहीं है, यह निश्चित रूप से माना जा सकता है। अवश्य ही ये किसी और कारण से यहाँ आए हैं।

Vijay Tiwari
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