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वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप (राणा कीका) एक ऐसे योद्धा थे जिनकी प्रशंसा करते हुए शत्रुओं की कलम भी नहीं रुकती थी।
अकबर का दरबारी लेखक हाजी मोहम्मद आरिफ कन्धारी 'तारीख-ए-अकबरी' में लिखता है :-
"आज तक कोई बादशाह अपनी लगाम की डोरी से राणा कीका के कान नहीं छेद सका। इस्लामी हुकूमत का उसके मुल्क में कभी कब्जा नहीं हो सका। राणा कीका और उसके मुल्क के चर्चे मुगल दरबार में हर रोज़ हुआ करते थे"

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