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1-स्वामी जी कहे यदि शरीर स्वस्थ, बलशाली होगी तो गीता भी ठीक से समझ में आयेगी। तुम फुटबॉल खेलो, व्यायाम करो, योग करो। फिर देखो गीता कैसे समझ में आती है।
( पुस्तक -अग्निमंत्र)
2- स्वामी जी से किसी ने पूछा। क्षत्रिय मांसाहार करते हैं।
इस पर आपका क्या कहना है ?
वह बोले, क्या क्षत्रियों की वीरता को एक मांस के टुकड़े से तौला जा सकता है।
धर्म नैतिक नियमों, जीवन व्यवहार से नहीं चलता है। धर्म आत्मा का विषय है। तुम लोग समाज को व्यर्थ के विवादों में डालकर, धर्म के मूल तत्व से अलग कर रहे हो। धर्म कोई ट्रैफिक नियम नहीं है। वह जीवन का जागरण है।
आज हिंदू को संसार को यह बताना है कि उनके पूर्वजों ने जीवन अन्वेषण किया है। उपनिषद, गीता जैसे उपहार दिये हैं। जिसको स्वीकार करने के लिये किसी नियम की आवश्यकता नहीं है। आत्मा का जागरण चाहिये। हमारे पूर्वजों ने जो हमें दिया है वह संपूर्ण मानव सभ्यता के लिये है। उसके लिये कोई बाधा नहीं है।
( विवेका