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वाल्मीकि रामायण (भाग 29)
होश में आने पर सुमन्त्र अचानक उठकर खड़े हो गए। उनकी आँखें लाल हो गई थीं और वे क्रोध से काँप रहे थे। वे दोनों हाथों से अपने सिर को पीटने लगे और राजा दशरथ की अवस्था को देखकर कैकेयी से उन्होंने यह तीखे वचन कहे, “देवी! जब तुमने स्वार्थ के लिए अपने पति का ही त्याग कर दिया, तो अब संसार में ऐसा कोई कुकर्म नहीं है, जो तुम न कर सको।”

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