यह विषय हिंदू , हिंदुत्व का नही है।
कभी आप पूर्णता के साथ यज्ञ में बैठिये,
कभी आप मनोवेग से शिवलिंग बेल पत्ती, गंगा जल चढ़ाइये।
कभी आप धोती कुर्ता पहनिये।
कुछ नही तो अपने द्वार पर किसी आगन्तुक का हाथ जोड़कर अभिनंदन करिये।
संस्कृति ! धर्म से निकली विस्तारित धारा है।
वह जो संतुष्टि, संतोष देती है।
वह टेस्ला की फ्लाइंग कार नही दे सकती है।
राजनीति और राजनीतिक उद्देश्य अपनी जगह है। लेकिन प्रधानमंत्री जी से पूछिये, यह सब करने उनको कितना आत्मिक सुख मिलता होगा।
संस्कृति दरिद्रता में वैभव का आनंद देती है। वह तो फिर भी प्रधानमंत्री है।।
