बनारस कैंट पर दो रिक्शा वाले बतिया रहे थे कि एक
विदेशी उनके करीब आकर रुका।
डू यू नो इंग्लिश? उसने पूछा।
दोनों बितर-बितर उसे देखते रहे।
पार्ले वू फ्रासेज़? वाही बात उसने फ्रेंच में दोहरायी।
दोनों के चेहरे पर कोई भाव नहीं आये।
पार्ले इटेलियनो?
जवाब नदारद।
''हाबलान अस्तेदी एस्पानोल?'' वही बात उसने
स्पेनिश में बोली।
दोनों के चेहरे पर शिकन तक न उभरी।
तंग आकर वो रुखसत हो गया।
दोनों रिक्शावाले कुछ क्षण उसे जाते देखते रहे, फिर
उनमें से एक बोला--''यार हम सोचत हई हमहन के ढेर ना त एकाक विदेशी भाषा सीख लेवे के चाही, कभी काल काम आई''
"धत्त मर्दे।'' दूसरा बोला- ''ओ &सड़ीवाले क 4-4 विदेशी भाषा आवत रहल, कौनो काम आयल?"
