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तारीख थी 1 मई 2006, सुबह का अखबार उठाया तो दिल दहल गया था, अखबार में ये तस्वीर छपी थी और खबर थी कि 30 अप्रैल 2006 को कश्मीर के डोडा कस्बे में 35 हिंदुओं को मुसलमान आतंकवादियों ने एक लाइन में खड़ा करके गोलियों से भून दिया था, बिलकुल ISIS के अंदाज में। इन 35 हिन्दुओ में 1 बच्ची भी शामिल थी जिसकी उम्र मात्र 3 साल थी।

उस हत्याकांड की ये तस्वीर हर उस शख्स के चेहरे पे तमाचा है जो मुस्लिम दुर्दांत माफियाओं और क्रूर अपराधियों की गिरफ्तारी में धार्मिक एंगल ढूंढते हैं। हर हिंदुस्तानी को याद रखना चाहिए कि कांग्रेस के राज में 2014 के पहले कश्मीर में क्या क्या हो रहा था।

याद रहना चाहिए कि...

1. उस समय शासन में कौन था?
2. उस समय राहुल गांधी कांग्रेस में किस पद पर था?
3. उस समय मोमबत्तियों के भाव क्या थे ?
4. उस समय बालीवुड भांड किसके साथ थे ?
5. देश के गृह मंत्री शिवराज पाटिल की क्या भूमिका थी ?

आपकीं जानकारी के लिए यह भी बता दें कि इस हत्याकांड में मरने वाले हिन्दू थे और मारने वाले पाकिस्तानी दहशतगर्द नहीं बल्कि कश्मीर के स्थानीय मुसलमान आतंकवादी थे इसलिए कांग्रेसी मुस्लिमपरस्ती के चलते कोई हत्यारा आतंकवादी पकड़ा नहीं गया। यह घटना हुई ही इसलिए थी क्योंकि उस समय की मनमोहन सिंह की कांग्रेस सरकार ने धृष्टता की सीमाएं पर करते हुए हुर्रियत कांफ्रेंस और अलगाववादियों की डिमांड के चलते कश्मीर और डोडा आदि जिलों से सेना को हटाने का घृणित काम शुरू किया था।
क्योंकि हिन्दू का अपने ही देश में कोई मानवाधिकार नहीं होता इसलिए किसी तथाकथित मानवाधिकार कार्यकर्ता और दिल्ली मुंबई में बैठे "बुद्धिजीवियों" ने इस विशुद्ध धर्म के आधार पर हुए हिंदू नरसंहार को लेकर मोमबत्तियां नही जलाई। इनमें से किसी को अपने हिंदुस्तानी होने पर शर्म नही आई। जावेद अख्तर, नसीरुद्दीन शाह,शाहरुख या आमिर खान जैसे किसी 2 टके के बॉलीवुड भांड ने पोस्टर पकड़कर फोटो नहीं खिंचवाई, या किसी ने साइन कर लेटर भी नहीं लिखा जो आज फर्जी खबरों के आधार पर बात का बतंगड़ बनाने के लिए कूद पड़ते हैं।

याद रखना आज उसी कांग्रेस और उसके साथ खड़े सपा, आरजेडी, टीएमसी, आप जैसे तथाकथित सेकुलर दल जो I.N.D.I.A. के नाम की चादर ओढ़ कर वोट मांगने के लिए हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का ढोंग कर रहे हैं मौका मिलते ही देश को उसी अराजकता की भट्टी में झोंक देंगे🙏

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