बेटी कान्या की शादी के बाद पहली पर पिता जी बेटी से मिलने उनके ससुराल पहुंचे
पिता को लगा था मुझे देखते ही कान्या मेरे गले से लग। जायेगी , अंत सोचते विचारते पिता बेटी के ससुराल पहुंचे घर में बैठते ही बेटी के बारे में पूछा तो उसकी सास ने बताया की कान्या रसोई घर में है अभी बुला देती हूं सास ने कान्या को आवाज लगाई अन्दर से आवाज आई हांजी मम्मी जी कान्या जल्दी जल्दी में बाहर आई पिता को देखते ही चेहरे पर चमक और खुशी साफ दिख रही थी परंतु जैसे अपने घर पर मिलती वैसे चाह कर भी मिल नही पाई, कान्या पिता को नमस्ते बोलकर उनके साथ बैठी ही रही थी की सास ने कहा चाय बना लो अपने पिताजी के लिए थके हारे आए है कान्या उठी रसोई घर जाने के लिए पिताजी ने कहा बाद में बना लेना थोड़ी देर बैठ मेरे पास बहुत दिन बाद तो आज देखा है अपनी लाडली को
इतने में देवर ने बोल दिया भाभी मेरी पेंट प्रेस नहीं की क्या आपने, कान्या ने उत्तर दिया सॉरी भईया भूल गई अभी करती हूं ननंद ने भी हुकुम सा चलाते हुवे कहा मेरा भी सूट प्रेस कर देना इतने रघु की आवाज आई रघु कन्या का पति
कान्या खाना लगाओ बहुत जोर की भूख लगी है कान्या ने दबे स्वर में उतर दिया हांजी आप बैठिए अभी लगती हूं
पिता ये सब देख कर सोच में पड़ गए की क्या ये मेरी वही बैठी है जो मुझे कहती थी में तो अपने ससुराल में ऐश करूंगी जैसे यहां रहती हूं वैसे ही रहूंगी अपनी मर्जी से सोऊंगी उठूंगी मन करेगा तो काम करूंगी वरना नही करूंगी
सब पर हुकुम चलाऊंगी में तो
सोचते सोचते पिता की आंखे भर आई मन में विचार किया मेने जो विदा की थी वो बेटी थी पर यहां जो मिली है वो किसी की बहु हैं कान्या के रसोई घर में जाते ही पिता ने सबको नमस्ते की और जल्दी में हू कहकर चल पड़े क्योंकि एक पिता अपनी बेटी से मिलने आया था जो उसे वहा नही मिली 😥
सत्य ही है हस्ती खेलती बेटियां जिमेदारियो में बंध के सब भूल जाती है
पोस्ट पसंद आये तो फॉलो प्लीज 🙏🙏
