आप मस्जिद के इमाम हैं,सप्ताह में सिर्फ एक बार जुमे को नमाज़ पढ़वाते हैं ! आपकी रिटायरमेंट की कोई मियाद तय नहीं लेकिन ज़िंदगी भर सरकारी तनख्वाह (मानदेय) लेते रहिये....
हर साल इंक्रीमेंट भी पक्का मिलेगा.... अर्थात सरकारी कर्मचारियों की तरह हर साल तनख्वाह बढ़ती रहेगी ! एक अनुमान के अनुसार सभी राज्यों में कम से कम 30 लाख इमामों... मौलवियों को सरकारी खजाने से तनख्वाह मिल रही है.... हरियाणा में इमाम की तनख्वाह रु 16000/- प्रति माह है,लेकिन दिल्ली में यह तनख्वाह रु 25000 के आस पास है... यही नहीं मुअज़्ज़िनों और मस्जिद के खादिमों को भी आकर्षक तनख्वाह मिलती है....
इसके बदले में क्या मिलता है हमको ? शाहीनबाग,मेवात ,नूह,कश्मीर.... कर्फ्यू और 'बहुसंख्यकों' का अंतहीन पलायन !

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