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भव्यमंदिर तो महत्वपूर्ण है ही, उससे भी महत्वपूर्ण है राममंदिर का भविष्य में जो महत्व, भूमिका है। वह बनाई जाय।
उसकी तैयारी हमारी फिलहाल नहीं है।
यह राममंदिर, सिर्फ ईश्वर का ही मंदिर नहीं है, यह मंदिर उनका है जिनकी हम सभी लोग संतति हैं।
वह हमारे राजा भी हैं,पिता भी हैं।
हम तो तब भी उन्हीं को अपना राजा माने जब यहां तुर्क, मुगल अत्याचार करते थे।
यह मंदिर , मंदिर ही नहीं है।
यह हमारे राजराजेश्वर का सिंहासन भी है। एक तरह से हम रामराज्य के पहले चरण में हैं।
यह ट्रस्ट तो मंदिर निर्माण तक है। उसके बाद राममंदिर की नियामक संस्था क्या होगी।
उसके अधिकार क्या होंगे,
उसके प्रतिनिधि कौन होंगे,
राममंदिर का सनातन धर्म के सरंक्षण, विस्तार में भूमिका क्या होगी।
यह सब इसलिये भी आवश्यक है क्योंकि एक तो यह सामान्य मंदिर नहीं है। यह रामजन्मभूमि पर राममंदिर है।
दूसरा यह कि यदि कुछ CA के आंकलन को मानें तो 2050 तक राममंदिर के पास दस -पन्द्रह अरब डॉलर से अधिक की संपत्ति होगी।
सरकार को चाहिये कि धर्माचार्यों, आर्थिक, सामाजिक, न्यायिक क्षेत्रों के प्रमुख व्यक्तियों की एक समिति बनाये । जो राममंदिर के लिये एक अधिकार सम्पन्न संस्था तथा भविष्य में उसकी भूमिका के लिये प्रारूप तय करे।

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