2 jr - Vertalen

श्रीरघुनाथजी अत्यन्त कोमल चित्तवाले, दीनदयालु और बिना ही कारण कृपालु हैं।

गीध [पक्षियोंमें भी] अधम पक्षी और मांसाहारी था, उसको भी वह दुर्लभ गति दी, जिसे योगीजन माँगते रहते हैं ⁠।⁠।⁠

प्रभु के शरण में चलें । काम करते रहें नाम जपते रहें ।

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