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दोहा :
बिप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार।
निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार॥
ब्राह्मण, गो, देवता और संतों के लिए भगवान ने मनुष्य का अवतार लिया। वे माया और उसके गुण (सत्‌, रज, तम) और इन्द्रियों से परे हैं। उनका दिव्य शरीर अपनी इच्छा से ही बना है ,किसी कर्म बंधन से परवश होकर त्रिगुणात्मक भौतिक पदार्थों के द्वारा नहीं ।
कल मेरे यहाँ (रामायण पाठ) में एक छोटे से लल्ला का जन्म भयो है, उसका नाम राम है।
बोलो बालरूप राम की जय

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