विलक्षण, अकल्पनीय, अद्भुत, अद्वितीय....
बसवेश्वर मंदिर, गुलबर्गा, कर्नाटक....
मुझे इसलिए भी वर्षाकाल सबसे उत्तम ऋतु लगता है जहां बादल एक से एक विचित्र अकल्पनीय साकार रचता है....
प्रकृति मानो स्वम् का श्रृंगार कर रही है...
जो विध्वंस हो रहा है इसके कारण तुम स्वम् हो रचियता नही वो आनंद बना रहा है तुम व्यवधान उत्पन्न कर रहें हो इसलिए नियमभंग का दंड है....
