जाट सम्राट महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर 👏
जिन्हें 11 वीं शताब्दी में दिल्ली की स्थापना
और आबाद करने के लिए जाना जाता है।
आज भी महाराजा अनंगपाल तोमर जी के वंशज जिंदा है
और उनकी रियासतों के नाम 👇
1. पिसावा, खैर अलीगढ़
2. सौंख मथुरा
3.हाथरस ,अलीगढ़
4. मुरसान , अलीगढ़ ( ठैनुआ/ तोमर)
5.सरहिंद, पंजाब( तूर / तोमर)
6. निपुरा गाढ़ी, मध्यप्रदेश
7. महिपालपुर दिल्ली
{ शासन काल 1051 ई.-1081 ई }
राजा अनंगपाल के आठ पौत्र हुए
1. सोनपाल देव तोमर-इन्होंने सोनोठ पर राज्य किया
2.मेघसिंह तोमर-इन्होंने मगोर्रा पर
3.फोन्दा सिंह तोमर ने फोंडर पर
4.गन्नेशा (ज्ञानपाल) ने गुनसारा पर
5.अजयपाल तोमर ने अजानगढ़ पर
6.सुखराम(सोहनपाल देव ने गोद लिया ) ने सोंखगढ़ पर
7.चेतराम तोमर-चेतोखेरा (चेतोगढ़) पर
.8.बत्छराज ने बछगांव गढ़ पर
इन आठ गढ़ को खेड़ा(खेरा) बोलते है| राजा अनंगपाल के वंशज वर्तमान में 384 ग्रामो में बसते है| यह विशाल क्षेत्र को खुटेलापट्टी के रूप में जाना जाता है|
सबसे पहले तोमर जाटों के सिक्के बागपत जिले के तोमर देश जोनमाना, जोहोडी जैसे बड़े गांव में अनंगपाल तोमर जी के सिक्के मिले थे।।
मथुरा के सौख मैं खुद अनंगपाल तोमर जी द्वारा निर्मित मां मनसा देवी जी का मंदिर भी है।।
भरतपुर में भी महाराजा अनंगपाल जी की जाटों द्वारा निर्मित प्राचीन प्रतिमा है।।
और देश की सबसे पहली रखी गई अनंगपाल जी की प्रतिमा भी सौख में स्थापित है इसका निर्माण खुटैल पट्टी के जाटों ने 80 साल पहले कराया था।।
और अलीगढ़ के पिसावा मैं तोमर जाट वंशजों का किला है और आज भी महाराजा अनंगपाल तोमर के वंशज निवास करते हैं जिनका एशिया में सबसे बड़ा घोडों का फार्म हाउस है।।
पलवल के पृथला गांव में देश की दूसरी प्रतिमा रखी गई अनंगपाल तोमर जी की ।। जो तकरीबन 35-40 साल पुरानी है।।
और सबसे बढ़िया पॉइंट महाराजा अनंगपाल तोमर जी के दादाजी सलक्षपाल तोमर जी ने चौधरहाट की प्रणाली की शुरुआत की थी।।
जिनके मिले हुए सिक्कों पर जाट शब्द का प्रयोग किया गया था।
जोकि जाट थे और लाल कोट यानी लाल किले के संस्थापक थे।।
इतने प्रूफ बहुत हैं या और प्रूफ दें अगर इससे भी ज्यादा प्रूफ चाहिए तो आप बागपत,पिसावा,मथुरा,भरतपुर,पृथला आकर देख सकते हैं।।
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स्वर्णिम है इतिहास हमारा क्योंकि हम है वीर जाट 💪
