इस तस्वीर को शब्द रूप देने की छोटी सी कोशिश-
सावन में सावन आया,
मन का मनभावन आया।
जलती तपती धरा को,
बूँदों से मनावन आया।
जूतों की सख़्त सतह पर,
प्रीत के कोमल पाँव।
जैसे आई अरसे से,
दिल की देहरी पर छाँव।
रुठी-रुठी मोहब्बत को
सरहद से रिझावन आया।
सावन में सावन आया,
मन का मनभावन आया।
संगीनों के साये से,
सजनी का साया पाकर।
इज़हार इश्क़ का करता,
वो उसको उँचा उठा कर।
एक फ़र्ज़ से माँग इजाज़त,
दूजा निभावन आया।
सावन में सावन आया,
मन का मनभावन आया।
साड़ी की हरी बेल पर,
कोई कोंपल नई हो आई।
आँचल ऐसे मुस्काये,
जैसे चलती हो पुरवाई।
कब से सूने माथे पर,
आलिंगन पावन आया।
सावन में सावन आया,
मन का मनभावन आया।