कुछ लोगों में अविश्वास की जड़े इतनी गहरी होती हैं कि दोस्तों, रिश्तेदारों के साथ साथ ईश्वर पर भी अविश्वास करते नज़र आते हैं। नास्तिक होना अलग बात हैं और आस्तिक लोगों की आस्तिकता पर प्रश्नचिन्ह लगाना बहुत अलग बात हैं।
वो ईश्वर हैं, किसी के साइंस टीचर नहीं जो उन्हें अपनी योग्यता को साबित करना पड़ेगा!
कभी शिवलिंग को दूध क्यों चढ़ाया, तो कभी भंडारे का आयोजन क्यों किया तो कभी भव्य पंडालों में भक्ति प्रवचन की सार्थकता पर प्रश्नचिन्ह लगाने लगते हैं।
ईश्वर की तस्वीर या विग्रह घर मे रखने से, उनकी पूजा करने से मानसिक शांति और सम्बल मिलता हैं! भाग्य के लिखे को कोई नहीं बदल सकता... ईश्वर का नाम दुःख की बारिश भले न रोक सके पर अपनी छतरी जरूर बन जाता हैं, जो भीषण बारिश में भी आपको भीगने नहीं देंगे।
भाई ईश्वर से तो कम से कम ग्यारंटी की आस न लगाएं...ग्यारंटी मांगने वालों के चक्कर मे ही खम्बे से नरसिंह अवतार को प्रकट होना पड़ा था!
बाकी तो...