2 años - Traducciones

यही जगत की रीत है, यही जगत की नीत,
मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।

भाषा के प्रति सदैव सजग रहे, ख्यातिलब्ध साहित्यकार, महान स्वतंत्रता सेनानी, 'पद्म भूषण' रघुपति सहाय 'फिराक गोरखपुरी' की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!

image