जब कुँवर अमरसिंह ने मुगल सेनापति अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना की बेगमों को बन्दी बनाकर महाराणा प्रताप के सामने पेश किया, तो महाराणा प्रताप ने कुँवर अमरसिंह को फटकार लगाते हुए अब्दुर्रहीम की बेगमों को सही सलामत उस तक पहुंचाने का आदेश दिया।
अब्दुर्रहीम कोई मामूली सिपहसलार नहीं था। वह बैरम खां का बेटा था। अकबर ने बैरम खां की विधवा से निकाह किया, इस तरह अब्दुर्रहीम अकबर का भी बेटा था। अकबर की पुत्रवधुओं को मेवाड़ी खेमे में आंच तक नहीं आई।
अकबर के आक्रमण के कारण चित्तौड़ में अनेक राजपूतानियों को जौहर करना पड़ा, फिर भी महाराणा प्रताप ने इसका प्रतिशोध मुगल औरतों से नहीं लिया। यही था क्षात्र धर्म।