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तू नहीं है वस्त्र तू तो
मातृ भू का हृदय ही है,
प्रेममय है नित्य तू
हमको सदा देती अभय है,
कर्म का दिन भी सदा
विश्राम की भी शांत राका।
विजयनी तेरी पताका!
महान कवयित्री, 'पद्म विभूषण' महादेवी वर्मा की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!

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