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यह माना जाता है कि यहां भगवान शिव ने जहर का सेवन किया था, जो 'समुद्र मंथन' के दौरान उत्पन्न हुआ था। इस वजह से भगवन शिव का गला रंग में नीला हो गया था, इसलिए भगवन शिव को नीलकंठ नाम दिया गया था। सदियों पुराने मंदिर अपनी आकाशीय आभा और पौराणिक महत्व को संजोय रखे हैं। नीलकंठ महादेव स्वर्गश्राम से 22 किमी दूर है।

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