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भाइयों ने 50 हजार के उधार से शुरू की थी Hero Cycles, जो आज है दुनिया की सबसे बड़ी Cycle कंपनी
धीरज झा
धीरज झा
अपडेटेड ऑन Feb 06, 2022, 14:36 IST
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वो दौर भी कमाल का था जब बच्चों के पास मोबाइल फोन, आई पैड, तरह तरह की गेम्स और आधुनिक यंत्रों की बजाए अच्छे-सच्चे दोस्त, बाहर जाने के बहाने, मैदान में खेले जाने वाले खेल, कॉमिक्स और ऐसी तमाम चीजें हुआ करती थीं. ये एक अच्छे बचपन की खास निशानियां थीं. इन्हीं तमाम चीजों में एक नाम आता है साइकिल का.

वही साइकिल जो बर्थडे गिफ्ट से लेकर क्लास में अच्छे नंबर लाने का लालच तक हुआ करती थी. ये वो समय था जब एक बढ़िया साइकिल किसी बच्चे के लिए सबसे बड़ा सपना हुआ करती थी. साइकिल को बिना चढ़े चलाने से शुरू हुआ सफर पहले कैंची और फिर काठी पर बैठ कर चलाने से खत्म होता था.

इसके बाद तो स्टंट्स का दौर शुरू होता था. कौन हाथ छोड़ कर साइकिल चला सकता है और कौन आंख बंद कर के. हमारे बचपन को खूबसूरत बनाने वाली इस साइकिल में भी एक खास नाम था जिसने हमारी साइकिल की ख्वाहिश को पूरा किया और साइकिलों की संख्या घटने नहीं दी. ये नाम था हीरो साइकिल्स. हीरो साइकिल पर बैठा बच्चा सच में खुद को हीरो समझता था.


Munjal Brothers
Hero

कहते हैं एक बार हीरो साइकिल कंपनी में हड़ताल हो गई. साइकिलों का निर्माण एकदम से रुक गया. उस समय कंपनी के मालिक खुद मशीन चला कर साइकिल बनाने लगे. जब कंपनी के बड़े अधिकारियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उनका जवाब था कि “आप सब चाहें तो घर जा सकते हैं लेकिन मेरे पास ऑर्डर हैं और मैं काम करूंगा. अगर साइकिल निर्माण नहीं हुए तो एक वक्त के लिए डीलर समझ जायेंगे कि हड़ताल के कारण काम नहीं हो रहा है मगर उस बच्चे के मन को हम कैसे समझाएंगे जिसके माता-पिता ने उसके जन्मदिन पर उसे साइकिल दिलाने का वादा किया होगा. हमारी हड़ताल की वजह से ऐसे कई बच्चों का दिल टूटेगा. लेकिन मैं ऐसा नहीं होने दूंगा, मैं हर उस माता पिता का किया हुआ वादा पूरा करूंगा जिन्होंने अपने बच्चे को साइकिल दलाने का वादा किया है.”

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