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पितृसत्ता,,,
एक बहन ने पूछा है कि पितृसत्तात्मक समाज क्या होता है महाराज जी??आये दिन सुनते रहते हैं पितृसत्तात्मक समाज,, पुरुष प्रधान समाज,,सुनकर इरिटेट होने लगी हूँ,,
हमने कहा कि एक गीत सुना है आपने--कहीं पे निगाहें-कहीं पे निशाना,,कम्युनिस्ट लफंगों के लिए यह गाना एकदम परफेक्ट है,,एक बात और है,,अपने जहरीले इरादों को साधने के लिए शास्त्र से कौनसी बात पकड़कर कैसे छल से बोलनी है इतनी समझ तो उन्हें जरूर है,,
दर्शनशास्त्रों का अध्ययन करने वाले या वेद वेदांग का अध्ययन करने वाले यह जानते हैं कि पुरूष का मतलब परमात्मा,,#सांख्यदर्शन में जब महर्षि कपिल पुरुष का उच्चारण करते हैं तो दोनों अर्थ एकसाथ ध्वनित होते हैं,,आत्मा और परमात्मा,,और कपिल कोई ऐसे वैसे ऋषि नहीं हैं न सांख्यदर्शन ऐसा ही कोई टीप कर दिया गया ग्रन्थ,, श्रीकृष्ण जब सिद्धों की घोषणा करते हैं तो कहते हैं--सिद्धानां #कपिलो अहम--सिद्धों में मैं कपिल हूँ,, एक जगह कहते हैं-न च सांख्य समम् ज्ञानम--#सांख्य के बराबर उसके समान कोई ज्ञान नहीं है,, और सांख्य के ऋषि कपिल कहते हैं पुरुष अर्थात आत्मा पुरुष अर्थात परमात्मा,,
तो जब भी दांति हथौड़ा के निशान वाले लाल रंग के अधम कहें पुरुष प्रधान समाज--तब तब समझ लेना चाहिए ऐसे लोग जो #आत्मवान हैं यानी अपनी आत्मा की आवाज सुनकर चलते हैं और ऐसा समाज जो परमात्मा प्रधान है यानी आस्तिकता जीवन में प्राणवायु की तरह घुली मिली है,,वे उन आत्मवान लोगों को तुम्हारे द्वारा खत्म करना चाहते हैं ताकि तुम आसान शिकार हो सको,,
तुंम नंगी होकर नाचती हो कि अब पुरुष प्रधान समाज हमें स्वीकार नहीं तब तुम यह सोचती हो कि घर में भाई पति पिता आदि,,जबकि वे छोटे टारगेट से बड़ा निशाना सेट कर रहे हैं,,समझ सको तो समझ जाओ इतना कठिन नहीं यह,,
#पितृसत्तात्मक समाज यानी वह समाज जो ईश्वर की आज्ञाओं से संचालित है,, यानी #वेद से संचालित है,, क्योंकि ईश्वर ही इस सृष्टि का जगतपिता है,, लेकिन दिमाग से पैदल लफंगी सोचती हैं कि घर में बैठा पिता,, वे उसका विरोध करती करती कब #परमपिता का विरोध शुरू कर देती हैं स्वयं उनको भी नहीं पता चलता,, पता चलता है तबतक किडनी लिवर आंखे बेची जा चुकी होती हैं या इतनी और इतनों द्वारा भोगी जा चुकी होती हैं कि वेश्या भी उनके आगे सती लगे,, या फिर बोरी या फ्रिज में पहुंच चुकी होती हैं,,
तो पितृसत्तात्मक समाज या पुरुष प्रधान समाज का मतलब है जब शरीर की बात करोगे तो ऐसा शरीर जिसमें आत्मा की प्रधानता है वह आपको चलाती है और समाज की बात करोगे तो ऐसा समाज जहां परमात्मा को साक्षी मानकर पुण्य परिश्रम और #पराक्रम किए जाते हैं,,
आप भाई, पति या पिता सोचते हैं तो इसमें हमारी गलती नहीं,, अपना मानसिक चैकप करवाइए पलिज्ज,,
ॐ श्री परमात्मने नमः। *सूर्यदेव*

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