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भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य, भारत रत्न, 'राष्ट्रऋषि' नानाजी देशमुख की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।
स्वावलंबी समाज के निर्माण हेतु वे आजीवन डटे रहे। उन्होंने 'ग्रामोदय से राष्ट्रोदय' का जो मंत्र दिया, वह 'आत्मनिर्भर भारत' की सिद्धि के लिए प्रेरणा देता है।

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