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आखिर हम डाइटिंग में क्यो फेल हो जाते है?
पृकृति ने सभी जीवो के अंतर्मन में जो सबसे मुख्य बात डाली है वो है सरवाइवल,मतलब सभी जीव का पहला लक्ष्य जीवित बचे रहने का हैं तो हम अवचेतन मन से वही सब करते है जो जीवित बचे रहने और हमारी स्पीशीज को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है, और जब हम ये काम करते है तो हमारे दिमाग मे एक केमिकल रिलीज होता है जिसे डोपामाइन कहते है और यही हमे खुशी देता है। मतलब पृकृति ने ये व्यवस्था की हुई है कि जो भी काम मे हम अपने न्यूनतम लक्ष्य की पूर्ति करले तो हमे खुशी हो, जैसे अच्छा भोजन और सेक्स है ।
फिर स्वाभविक प्रश्न उठता है की फिर हम ऐसा भोजन क्यो पसंद करते है जो ज्यादा वसा वाला और unhealthy हो क्योकि ये हमे बीमार करता है इसलिए ये तो स्वाभाविक नही होना चाहिए।
लेकिन हम कितनी भी कोशिश करे डाइट प्लान करे आखिर मे मन गर्मागर्म पूरी कचोरी देख के पिघल जाता हैं।
इसका कारण भी हमारी सरवाइवल इंस्टिन्त ही हैं, क्योकि हमने चाहे कितनी भी भौतिक उन्नति कर ली हैं पर हम मूल रुप से आदिमानव ही हैं जो गुफाओं में रहता हैं।
क्योकि उस समय एक बार भोजन मिलने के बाद अगली बार भोजन मिलने की ग्यारंटी नहीं थी , और एक बार भोजन सामने आने पर उसे ज्यादा से ज्यादा खाना मजबूरी थी क्योंकि क्या पता कल ऐसा भोजन नही मिल पाए।
और कई दिन भूखा रहना पड़े, और ऐसे समय सबसे ज्यादा जरूरी है वसा ।क्योकि वहीं हमें भोजन की कमी में जीवित रखती है। और शक्कर भी इसी कारण हम ज्यादा पसंद करते है क्योकि वो काम करने की ऊर्जा तुरन्त देती है।
आप इसके लिए छोटे बच्चे को देख सकते है उसे सब्जी या कुछ अच्छा खिलाने में कितनी परेशानी हो जाती है वही चॉकलेट, कैंडी या जंक फूड उसे पहली बार मे ही पसंद आ जाता है।
पर इसका कारण भी है क्योकी आप देख रहे है कि यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध चल रहा है, इस्रायल और फिलिस्तीन कब विरुद्ध युद्ध चल रहा है, युद्ध की विभीषिका के कारण भोजन की उपलब्धता कम हो गयी हैं भले ही हमने कितनी भी तरक्की कर ली है पर सिर्फ एक बुरी घटना हमे आदिम युग में फिर से ले जा सकती है।
ओर भोजन के लिए लंबी लाइन और भूख से मौत की विभीषिका देखने को विवश हो जाते है।
तो चाहे हम भौतिक रूप से कितनी भी उन्नति कर ले हमारे अंतर्मन में ये बात होती है कि क्या पता कल ये भोजन न मिले तो आज ही इसे खा लो, और हमारे सारे डाइट प्लान धरे के धरे रह जाते है।
पर अब हमें क्या करना चाहिए और कैसे खुद को समझाए की अब भोजन की प्रचुर उपलब्धता है और हम भूख से नही मरेंगे।
उसके लिए हमे हमारा स्तर थोड़ा ऊपर उठाना होगा जो की अन्य जानवरों से हमें अलग करता है , हमे खुद को समझाना होगा कि हम सिर्फ सरवाइवल और वंशवर्द्धि करने इस पृथ्वी पर नही आये है ,हमारा लक्ष्य बहुत बड़ा है।
इसके लिये एक तरीका पतंजलि का योगसूत्र है जो हमे बताता है कि मनुष्य शरीर से हम भगवत्व प्राप्त कर सकते है और विभिन्न स्तरों पर बढ़ते हुए हम सरवाइवल के दुष्चक्र से निकल कर आत्मकल्याण के मार्ग पर आगे बढ़ सकते है।
जब हम प्राणायाम और ध्यान करते है तब हमारी चेतना धीरे धीरे ऊपर उठती है फिर दिमाग की प्रणाली के परिवर्तन आता है और जो आनंद अच्छे भोजन या सेक्स में आता है उससे कई गुना आंनद स्वतः ही प्राप्त हो जाता है ।
फिर बाहरी कारक उसमे प्रभाव नही डालते है,इसी कारण हमारी परंपराओं में व्रत उपवास आदि सम्मिलित किये गए।ताकि हम धीरे धीरे खुद को तैयार करे ।
कुछ दिन पहले मेंने आंनदामाइड रसायन के बारे में बताया था ये उस समय एक्टिव हो जाता है और हमारे मष्तिष्क में विद्युत संकेतो का प्रवाह थोड़ा बदल जाता है, अगर इसी प्रकार आगे प्रगति करते रहे तो कर्म बंधन भी समाप्त हो सकते है ,
ऐसा नहीँ है कि सिर्फ भगवत प्राप्ति के लिए ध्यान करना चाहिए , ये हमारे डाइट प्लान को भी बनाये रखने में लाभ दे सकता है, ये इसके कई लाभ में से एक है । ये हमारी पशुता से मनुष्यता की और यात्रा है और हमे बताती है कि हमारे लक्ष्य सिर्फ जीवित बचे रहना नही बल्की आत्मकल्याण करना है,ध्यान करने के कई तरीके है, और आप उनमें से आपके अनुसार चुन सकते है ।
और अगली बार डाइट प्लान के ध्यान को भी जरूर शामिल कीजिये ।
लेख आपको कैसा लगा जरूर बताएं।
How to apply a healthy lifestyle with Shree mad Bhagwat Geeta.
Part;1
एक लंबी पोस्ट है पर ये आपकी भोजन से सम्बंधित बुरी आदतें औ छुड़ाने में मदद कर सकती है।
पिछली पोस्ट में हमारी मूल प्रवृत्ति पर चर्चा की थी , किस प्रकार कई प्रयास के बाद भी भोजन के प्रति रुचि कम न होती और डाइटिंग के सारे प्रयास व्यर्थ हो जाते है।

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