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आज एक बड़े वकील साहब के यहां गये थे।
चाय नाश्ता हुआ।
पूछे आपका घर कहा है ?
बताये इस गांव में है।
कहने लगे वहीं के एक बाबू साहब थे। धोती कुर्ता पहनते थे। फेटा मारते थे।
बड़े दिव्य पुरुष थे।
कोर्ट कभी आते तो लगता किसी रजवाड़ो से हो , बात करो तो ऋषि लगते थे
फिर नाम बताये।
साथ में श्रीनरसिंह थे।
बोले उन्हीं के डॉक्टर साहब लड़के है।
वकील साहब पूछे बाबू साहब कैसे है ?
हम चुप रहे। भावुकता से आँखे भर आईं।
लेकिन उनके व्यक्तित्व कि प्रंशसा सुनकर अच्छा लग रहा था।
धन, पद सब चला जाता है। लोग भूल भी जाते है।
लेकिन उज्ज्वल, महान व्यक्तित्व सदैव जीवित रहता है।

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