प्रकृति ही सर्व धर्म है।
इसलिए केवल प्रकृति मे ही आस्था है। प्रकृति ही पूजा है और प्रकृति में ही सेवा है।
प्रकृति ही सत्य है, बाकी सब तरफ असत्य का भंडार है।
प्रकृति में ही विश्वास है बाकी जहां में अविश्वासियों की कमी नहीं है।
प्रकृति ही निश्चल है, बाकी सब छल है।
प्रकृति ही जहां की शुरुआत है और प्रकृति ही जहां का अंत है।
प्रकृति में ही सारा ज्ञान है, प्रकृति में ही सारा प्रवचन है।
प्रकृति है तो जीवन है, वरना ये जहां जीवन विहीन है।
जोहार आदिवासियत 🌱

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