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अभी एक लोग बता रहे थे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एक क्रिशयन प्रोफेसर भगवान कृष्ण जेल में भेजने को कह रहे थे।
हमको हँसी छूट गई।
वह बोले आप हँस रहे है।
हम कहे मुझे रामधारी सिंह दिनकर कि कविता याद आ गई।
हाँ हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।
यह देख गगन मुझमें लय है
यह देख पवन मुझमें लय है,
मुझमें विलीन झंकार सकल,
मुझमें लय है संसार सकल,
अमरत्व झूलता है मुझमें
संहार झूलता है मुझमें
दृग हो तो अकाण्ड देख
मुझमें सारा ब्रह्मांड देख----
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जंजीर बढ़ा साध इन्हें
हाँ हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।
हर युग मे रावण, दुर्योधन होते है।।