*🌞 जय सियाराम सुप्रभातम 🌞*
*सुठि सुंदर संबाद बर बिरचे बुद्धि बिचारि।*
*तेइ एहि पावन सुभग सर घाट मनोहर चारि॥*
भावार्थ:-इस कथा में बुद्धि से विचारकर जो चार अत्यन्त सुंदर और उत्तम संवाद (भुशुण्डि-गरुड़, शिव-पार्वती, याज्ञवल्क्य-भरद्वाज और तुलसीदास और संत) रचे हैं, वही इस पवित्र और सुंदर सरोवर के चार मनोहर घाट हैं॥
*सप्त प्रबंध सुभग सोपाना। ग्यान नयन निरखत मन माना॥*
*रघुपति महिमा अगुन अबाधा। बरनब सोइ बर बारि अगाधा॥1॥*
भावार्थ:-सात काण्ड ही इस मानस सरोवर की सुंदर सात सीढ़ियाँ हैं, जिनको ज्ञान रूपी नेत्रों से देखते ही मन प्रसन्न हो जाता है। श्री रघुनाथजी की निर्गुण (प्राकृतिक गुणों से अतीत) और निर्बाध (एकरस) महिमा का जो वर्णन किया जाएगा, वही इस सुंदर जल की अथाह गहराई है॥1॥

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