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नाथावत कछवाहा राजपूतों पर लिखे गए ग्रंथ "नाथावंशप्रकाश" में लिखा है कि "रणभूमि में महाराणा प्रताप के अश्व चेतक का एक पैर कट गया, उसके बाद मनोहरदास कछवाहा ने कटारी निकालकर चेतक पर फेंकी, जिससे चेतक और ज्यादा ज़ख्मी हो गया"
ऐसी विकट परिस्थिति में भी चेतक ने वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के प्राणों की रक्षा की... शत शत नमन है मेवाड़ की माटी को, जहां घोड़े भी मातृभूमि खातिर मर मिटे

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