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इस पेंटिंग में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के पास अकबर का दूत जलाल खां कोरची सन्धि प्रस्ताव लेकर आया हुआ दिखाया गया है। जलाल खां महाराणा प्रताप के राज्याभिषेक के 6 महीने बाद सितंबर, 1572 ई. में आया था।
महाराणा प्रताप ने दूत का सम्मान करते हुए जलाल खां को अपने अतिथि गृह में ठहराया और करीब एक महीने तक जलाल खां वहीं रुका। इस दौरान कई बार उसने महाराणा प्रताप से सन्धि की बातचीत की, लेकिन महाराणा प्रताप ने मुगल ध्वज तले आने से साफ इंकार कर दिया। आखिरकार जलाल खां को वहां से जाना पड़ा

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