1 ذ - ترجم

पिताजी जब भी कभी किसी से क्रोध में होते थे। तो कहते थे ' श्री ' हीन हो गया है।
बहुत बार सुनने पर एक बार जब शांति से बैठे थे। मैंने पूछा श्री का अर्थ क्या होता है ?
बोले व्यक्तित्व के जो श्रेष्ठतम गुण होते हैं। वह सभी श्री में समाहित होते है। ऋग्वेद में सबसे पहले यह शब्द प्रयुक्त हुआ है।
इसका अर्थ होता है कि वह शक्ति जिससे अपना और इस जगत का विकास किया जाता है।
मैं जब अपनी लैब खोला तो बहुत से लोगों ने बहुत नाम सुझाये। लेकिन पिताजी कि व्याख्या स्मृति हो आई।
फिर मैंने ' श्री ' पैथोलॉजी रखा।।

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