जूना अखाड़े की अनूठी पहल !

अनुसूचित समाज के तपस्वी, ज्ञानवान साधुओं को भी महामंडलेश्वर की उपाधि!

जूना अखाडा देश के बड़े अखाड़ों में से हैं। इसके पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज हैं। जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर तपस्वी हैं, गहरा अध्यन करते हैं और समाज में अपने पुरुषार्थ से सद्गुण, समरसता और संगठन के लिए समर्पित हैं।

आज 30 अप्रैल को जूना अखाड़ा द्वारा चार पूज्य संतों को महामंडलेश्वर पद का पट्टाभिषेक कराया जायेगा। यह सभी अनुसूचित जाति व जनजाति समाज से आते हैं। अभी तक जूना अखाड़ा द्वारा अनेक अनुसूचित जाति के संतों, 52 आदिवासी समाज और यहाँ तक की किन्नर समाज से भी महामंडलेश्वर बनाये गए हैं। जिनको समाज में हेय दृष्टी से देखा जाता था उनका अब सम्मान और आदर होता है।

यह भी जान लें कि महामंडलेश्वर का पद प्राप्त करने के लिए जूना अखाड़े में पांच वर्षों तक सनातन धर्म के ग्रंथों का गहन अध्ययन, संयमित जीवन जीने के साथ कठिन परीक्षा पास करनी होती है। इसके बाद ही महामंडलेश्वर की उपाधि प्राप्त हो पाती है।

जूना अखाड़ा के लिए इस लकीर को मिटाना आसान नहीं रहा होगा। उन्होंने यह दृढ़ता से स्थापित किया है कि महामंडलेश्वर पद के लिए जाति कोई बाधा नहीं है। केवल तप और अध्यन ही एकमात्र मापदंड है और समाज के सभी वर्गों के लोग इसमें शामिल हो सकते है। अखाड़े ने यह साबित किया है कि पद जाति से नहीं, योग्यता के आधार पर मिलना चाहिए और इसी का परिणाम है कि जूना अखाड़ा समाज में समरसता और श्रेष्ठ संस्कारो के लिए बड़ा और उपयोगी कार्य कर रहा है।

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