इन सात स्वरोंके नाम हैं-सा, रे, ग, म, प, ध, नि।
सा - (षड्ज) - नासिका, कण्ठ, उर, तालु, जिह्वा और दाँत इन छः स्थानोंके सहयोगसे उत्पन्न होनेके कारण इसे षड्ज कहते हैं। अन्य छः स्वरोंकी उत्पत्तिका आधार होनेके कारण भी इसे षड्ज कहा जाता है।
इसका स्वभाव ठंडा, रंग गुलाबी और स्थान नाभि- प्रदेश है। इसका देवता अग्नि है। यह स्वर पित्तज रोगोंका शमन करता है। उदाहरण-मोरका स्वर षड्ज होता है।
