मासूम बच्चों को ज़िंदगी जीना सिखाने की बजाय मौत के फ़ायदों के लिए तैयार करने वाला ये मदरसा भारत बांग्लादेश सीमा पर है सब बच्चे स्कूली पढ़ाई छोड़ कर मदरसे में हैं इनको 12-14 वर्ष की आयु में भी उर्दू-अरबी के सामान्य शब्दों की जानकारी तो नहीं दी गई है परंतु मौत के बाद के सफ़र की पढ़ाई कराई जा रही है।

बच्चों के विकास के लिए ये ख़तरनाक है,बच्चों को स्कूल में होना चाहिए।

(वीडियो जन जागरण के उद्देश्य से पोस्ट किया गया है)