🌹 🌷 ।। श्री ।। 🌷 🌹
जय सियाराम सुमंगल सुप्रभात प्रणाम बन्धु मित्रों। राम राम जी।
श्रीरामचरितमानस नित्य पाठ पोस्ट ३२७, बालकाण्ड दोहा ६५/१-४, हिमाचल की रौनक।
सरिता सब पुनीत जलु बहहीं।
खग मृग मधुप सुखी सब रहहीं।।
सहज बयरु सब जीवन्ह त्यागा।
गिरि पर सकल करहिं अनुरागा।।
सोह सैल गिरिजा गृह आएं।
जिमि जनु रामभगति के पाएं।।
नित नूतन मंगल गृह तासू।
ब्रम्हादिक गावहिं जसु जासू।।
भावार्थ:- हिमाचल पर पार्वती के जन्म के बाद, सारी नदियों में पवित्र जल बहता है और पक्षी, पशु, भ्रमर सभी सुखी रहते हैं। सब जीवों ने अपना स्वाभाविक वैर छोड़ दिया और पर्वत पर सभी परस्पर प्रेम करते हैं। पार्वती के घर आ जाने से हिमाचल ऐसा शोभायमान हो रहा है जैसे रामभक्ति को पाकर भक्त शोभायमान होता होता है। पर्वत राज के घर नये नये मंगलोत्सव होते हैं, जिसका ब्रम्हादिक यश गाते हैं।
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