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🌹🚩🙏 श्रीसीतारामाभ्यां नमः 🙏🚩🌹
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मजा।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वंदे रघुनंदनम्।।🙏🚩🌹
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कोसलेन्द्रपदकंजमंजुलौ कोमलावजमहेशवन्दितौ।
जानकीकरसरोजलालितौ चिन्तकस्य मनभृंगसंगिनौ।।
कोसलपुरी के स्वामी प्रभु श्रीरामचंद्रजी के सुंदर और कोमल दोनों चरणकमल ब्रह्मा जी और शिवजी के द्वारा वंदित हैं, श्रीजानकी जी के कर कमलों से दुलराये हुए हैं और चिन्तन करने वाले के मनरूपी भौंरों के नित्य संगी हैं अर्थात चिन्तन करने वालों का मन रूपी भ्रमर सदा उन चरणकमलों में बसा रहता है।।🙏🚩🌹
🌹🚩🙏 जय-जय सियाराम 🙏🚩🌹

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