1 y - Vertalen

प्रार्थना
हे वाणी! मेरे हृदय से निकल बाल्मीकि की पीड़ा बन वेदना कह जाओ
हो भाव घनेरे सुंदर रागों की बीना से मधुरम झंकार बन जग छा जाओ
हो सुंदर निर्मल अनुपम अटल से भाव हमारे हिंदी की वह धारा बन जाए
हिंदी की बिंदी बनकर सभी भाषाओं में माथे का चंदन बन जाओ
आभा

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