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🌹 🌷 ।। श्री ।। 🌷 🌹
जय सियाराम सुमंगल सुप्रभात प्रणाम बन्धु मित्रों। राम राम जी।
श्रीरामचरितमानस नित्य पाठ पोस्ट ३४६, बालकाण्ड दोहा ७१/५-८, मैना जी पार्वती को समझा रही है।
सुनि पति बचन हरषि मन माहीं।
गई तुरत उठी गिरिजा पाहीं।
उमहि बिलोकि नयन भरे बारी।।
सहित सनेह गोद बैठारी।।
बारहिं बार लेति उर लाई।
गदगद कंठ न कछु कहि जाई।।
जगत मातू सर्बग्य भवानी।
मातु सुखद बोलीं मृदु बानी।।
भावार्थ:- मैना जी पति के वचन सुनकर मन में प्रसन्न होकर मैना उठ कर तुरंत पार्वती के पास गयीं। पार्वती को देखकर आंखों में आसूं भर आये, उसे सन्हे के साथ गोद में बैठा लिया। फिर बार बार उसे हृदय से लगाने लगीं। प्रेम से मैना का गला भर आया, कुछ कहा नही जाता। जगज्जननी भवानी जी तो सर्वग्य ठहरीं माता के मन कि दशा को जानकर, सुख देने वाली कोमल वाणी में बोली।
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