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🙏🙏जय सियाराम जी🙏🙏
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प्रथम राम भेंटी कैकेई।
सरल सुभायँ भगति मति भेई॥
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पग परि कीन्ह प्रबोधु बहोरी।
काल करम बिधि सिर धरि खोरी॥
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भावार्थ:-गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि सबसे पहले रामजी कैकेयी से मिले और अपने सरल स्वभाव तथा भक्ति से उसकी बुद्धि को तर कर दिया। फिर चरणों में गिरकर काल, कर्म और विधाता के सिर दोष मढ़कर, श्री रामजी ने उनको सान्त्वना दी।
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भेटीं रघुबर मातु सब
करि प्रबोधु परितोषु।
अंब ईस आधीन जगु
काहु न देइअ दोषु॥
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भावार्थ:-फिर श्री रघुनाथजी सब माताओं से मिले। उन्होंने सबको समझा-बुझाकर संतोष कराया कि हे माता! जगत ईश्वर के अधीन है। किसी को भी दोष नहीं देना चाहिए।
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वंदउ राम लखन वैदेही।
जे तुलसी के परम् सनेही॥
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अनुज जानकी सहित निरंतर ।
बसउ राम नृप मम् उर अंतर॥
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🙏🙏जय सियाराम जी🙏🙏

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