खालिस्तानी कुलविंदर पर ipc की 323 और 341 की धाराओं पर केस दर्ज हुआ है। इससे मामूली कोई धाराएँ नहीं हो सकती थी। दोषी साबित होने पर भी अधिकतम 1 महीने की सजा होगी।

अगर कोई दो सामान्य व्यक्तियों के बीच एयरपोर्ट पर थप्पड़बाज़ी हो जाती तो पुलिस 268 तो लगा ही देती।

स्वयं DIG नार्थ विनय काजला खालिस्तानी कुलविंदर के नाम से माफी माँगता फिर रहा है। मीडिया में "कुलविंदर ने बच्चे को बिस्किट दिया" जैसी कहानियाँ बता रहा है।

बीजेपी सरकार की यहीं समस्या है। अगर काँग्रेस होती तो जब तक कोई बड़ा नैरेटिव उनके पक्ष में नहीं होता वो किसी भी प्रकार की रियायत नहीं देती।

न्याय की माँग ये है कि कोई भी आतंकी गतिविधि में मामला UAPA के तहत दर्ज हो। इस मामले में इसकी सेवाएँ सभी सुविधाओं के साथ समाप्त की जाएँ। अगर ऐसा नहीं होता है तो देश में ऐसे तमाशे रोज होंगे। जो कुछ ही वर्षों में एक घिनौना रूप ले लेंगे।

बन्दूकों के साये में जीना आज़ादी नहीं होती।
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एक वास्तविकता और स्वीकरो, जो भी इनको किसान कह समझ रहे हैं, पंजाब समझ रहे हैं वो इनमें से "एक भी" ऐसा व्यक्ति निकालकर दिख दें जो भिंडरावाले वाले को आतंकवादी मानता हो और जो उसने किया उसमें कुछ भी गलत मानते हों।

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