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जय सियाराम सुमंगल सुप्रभात प्रणाम बन्धु मित्रों। राम राम जी।
श्रीरामचरितमानस नित्य पाठ पोस्ट ४०५, बालकाण्ड दोहा ९०/१-४, सप्तर्षि हिमाचल के पास पहुंचे।
सबु प्रसंग गिरिपतिहि सुनावा।
मदन दहन सुनि अति दुखु पावा।।
बहुरि कहेउ रति कर बरदाना।
सुनि हिमवंत बहुत सुख माना।।
हृदय बिचारि संभु प्रभुताई।
सादर मुनिबर लिए बोलाई।।
सुदिनु सुनखत सुघरी सोचाई।
बेगि बेदबिधि लगन धराई ।।
भावार्थ:- सप्तर्षि पर्वत राज हिमाचल को सब हाल सुनाया।
कामदेव का भस्म होना सुनकर हिमाचल बहुत दुःखी हुए। फिर मुनियों ने रति के वरदान की बात कही, उसे सुनकर हिमवान बहुत सुख माना। शिवजी के प्रभाव से मन में विचार कर हिमाचल ने श्रेष्ठ मुनियों को आदर पूर्वक बुला लिया और उनसे शुभ दिन, शुभ नक्षत्र और शुभ घड़ी शोधवाकर वेद की विधि के अनुसार शीघ्र ही लग्न निश्चय कराकर लिखवा लिया।
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