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यह तस्वीर 1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक में हॉकी स्टिक लेकर चलते हुए ध्यानचंद की है।
उस समय कोई ब्रांड एंडोर्समेंट नहीं था, कोई मीडिया हाइप नहीं था, कोई रिची रिच फील नहीं था, कोई प्रमोशन नहीं था।शुद्ध भावनाएं और मासूमियत।
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