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क्या आप जानते हैं कि भारत की एक बेटी ने तलवारबाज़ी के क्षेत्र में ऐसा कमाल कर दिखाया है जिसे सुनकर आपका दिल गर्व से भर जाएगा? हम बात कर रहे हैं चडालवाड़ा आनंदा सुंदररामन भवानी देवी, जिन्हें हम सब सीए भवानी देवी के नाम से जानते हैं। उनकी कहानी साहस, संघर्ष और असीमित जुनून की अनोखी मिसाल है। 🚀💫
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27 अगस्त 1993 को चेन्नई, तमिलनाडु में जन्मी भवानी देवी ने एक साधारण परिवार से होते हुए भी असाधारण सपने देखे। उनके पिता आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले से थे, जो बाद में चेन्नई में बस गए। भवानी ने मुरुगा धनुषकोडी गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल, चेन्नई से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और सेंट जोसेफ कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग, चेन्नई में दाखिला लिया। इसके बाद उन्होंने केरल के थालास्सेरी में गवर्नमेंट ब्रेनन कॉलेज से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई पूरी की।
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2004 में, भवानी देवी को स्कूल स्तर पर तलवारबाजी से परिचित कराया गया। कक्षा 10 की पढ़ाई पूरी करने के बाद, वे केरल के थालास्सेरी में भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) केंद्र में शामिल हो गईं। 14 साल की उम्र में, उन्होंने तुर्की में अपने पहले अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग लिया, जहाँ एक मामूली देरी के कारण उन्हें ब्लैक कार्ड मिला। लेकिन यह उनकी यात्रा का अंत नहीं था, बल्कि एक नई शुरुआत थी। 2010 में फिलीपींस में एशियाई चैम्पियनशिप में उन्होंने कांस्य पदक जीता और भारतीय तलवारबाजी में एक नया इतिहास रचा।
भवानी देवी ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण टूर्नामेंट में पदक जीते हैं। 2009 में मलेशिया में आयोजित कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप में कांस्य पदक से शुरुआत करते हुए, उन्होंने 2010 इंटरनेशनल ओपन, थाईलैंड; 2010 कैडेट एशियाई चैम्पियनशिप, फिलीपींस; 2012 कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप, जर्सी; 2015 अंडर-23 एशियाई चैम्पियनशिप, उलानबटार, मंगोलिया और 2015 फ्लेमिश ओपन में कांस्य पदक जीते हैं। 2014 में फिलीपींस में अंडर 23 श्रेणी के एशियाई चैम्पियनशिप में उन्होंने रजत पदक जीता और ऐसा करने वाली पहली भारतीय बनीं।
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भवानी देवी ने 2020 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करके इतिहास रच दिया। वे ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय तलवारबाज़ बनीं। यह उनके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है और उन्होंने देश को गर्व महसूस कराया। उन्हें राहुल द्रविड़ एथलीट मेंटरशिप प्रोग्राम के माध्यम से गोस्पोर्ट्स फाउंडेशन द्वारा समर्थन दिया जाता है।
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भवानी देवी की कहानी न केवल उनकी मेहनत और समर्पण का प्रतीक है, बल्कि यह भी दिखाती है कि अगर व्यक्ति में सच्ची लगन हो, तो वह किसी भी परिस्थिति में अपने सपनों को पूरा कर सकता है। उनकी यह यात्रा हमें सिखाती है कि सच्ची मेहनत, धैर्य और आत्मविश्वास से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है।
भवानी देवी को सलाम और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए ढेरों शुभकामनाएँ! 🌟🗡️🏅
पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद🙏💯

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