पैर कमज़ोर थे पर हौसले नहीं, तीरंदाज़ी में स्वर्ण पदक जीतकर अर्जुन अवार्ड ले आया फिर भी बधाई नहीं दोगे क्या दोस्तों? यह कहानी है हरविंदर सिंह की, जिन्होंने अपने मजबूत इरादों और कड़ी मेहनत से न केवल अपने सपनों को साकार किया, बल्कि भारत का नाम भी गर्व से ऊँचा किया। 🎯
हरविंदर सिंह, पंजाब के एक छोटे से गाँव से ताल्लुक रखते हैं। बचपन से ही पोलियो के कारण उनके पैरों में कमजोरी थी, लेकिन उन्होंने कभी इसे अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। उनकी रुचि तीरंदाज़ी में थी, और उन्होंने इस क्षेत्र में अपने हौसलों की उड़ान भरनी शुरू की। हरविंदर ने अपने सीमित संसाधनों के बावजूद तीरंदाज़ी की बारीकियों को सीखा और अपनी मेहनत से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना लोहा मनवाया।
2018 में इंडोनेशिया के जकार्ता में आयोजित एशियाई पैरा खेलों में हरविंदर ने तीरंदाज़ी में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। यह उपलब्धि किसी भी भारतीय पैरा एथलीट द्वारा पहली बार हासिल की गई थी। उनके इस प्रदर्शन ने उन्हें न केवल देशभर में लोकप्रियता दिलाई, बल्कि उन्हें अर्जुन अवार्ड से भी नवाजा गया। यह सम्मान उनके अदम्य साहस और मेहनत का प्रमाण है, जिसने उन्हें विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचाया। 🏅
हरविंदर सिंह की कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में कठिनाइयाँ चाहे जितनी भी बड़ी क्यों न हों, अगर हमारे पास दृढ़ संकल्प और मेहनत की शक्ति हो, तो हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। उन्होंने साबित किया कि सच्ची सफलता शारीरिक ताकत से नहीं, बल्कि मानसिक मजबूती और दृढ़ निश्चय से प्राप्त होती है। उनके इस असाधारण सफर के लिए हम उन्हें बधाई देते हैं और उनके आगे के सफर के लिए शुभकामनाएँ देते हैं। 🎉
