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चुगकर दाने काव्य के, हुए मंच आसीन।
हंस बड़ा बेबस दिखा, कौआ ताने बीन।
कौआ ताने बीन, बड़ी कर्कश थी बोली।
झूठी सुनकर वाह, हँसे कौओं की टोली।
जोड़ तोड़ के शब्द, रचें कविता के बाने।
बह्र काफिया छ्न्द, काव्य के चुगकर दाने।
गुंजन अग्रवाल 'अनहद'

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