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जब गाँवों में बिजली नहीं थी तो मकान हवा की दिशा के हिसाब से बनते थे ओर दरवाज़ा बहुत बड़ा रखते थे इसलिए इसे पोल कहा जाता था घर मे लू के थपेड़े इसकी छांव से थोड़े ठंडे होकर पहुँचते थे।वक़्त व विकास के साथ गाँव की ये पोले भी अब इतिहास बन चुकी है।

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